Saturday 16 November 2013

सचिन तेंदुलकर, केवल नाम ही काफी है, कोई विशेषण उनके लायक शायद बना ही नही। आज सचिन का अंतिम टेस्ट मैच, 12  बेहतरीन चौकों के साथ शानदार 74 रन। एक सुखद-इतिहास का सुखद-अंत। संतोष इतना कि हमे  साक्षी रहने का अवसर मिला, उन ऐतिहासिक पलों का।
एक महान महारथी की महान यात्रा- एक स्वर्णिम युग का अंत- या कि एक नये युग का शुभारम्भ। भावी - अज्ञात....
अच्छी लगती हैं  ऐसी यात्रायें - ऐसी जीवन यात्रायें।
अक्सर उसकी बातें बिलकुल सही ठहरती है, दम तो है उसकी बातों में, हालाँकि उस समय तो मुझे भी यकीन नही हो रहा था,  जब उसने मुझसे कहा था कि  हर अंत के पश्चात्  एक नई शुरुआत होती है,पहली बार जेपी-मोटिवेटर की बातें मेरे सिर के ऊपर से निकल रही थी।
लेकिन आज यकींन हो गया, उसकी बात सोलह-आने सही थी, उसके कहने से आत्म-हत्या के विचार को  अगर मैंने नही त्यागा होता तो शायद आज सचिन की इस ऐतिहासिक पारी का गवाह कैसे बनता ?
 मै इंटरप्रेन्योर-जेपी आज की इस उप्लब्धि के लिए जेपी-मोटिवेटर का हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।
 वैसे शुक्रगुज़ार  तो कई बातों  के लिए हूँ- इस जेपी मोटिवेटर का। अपने जीवन के अनुभवों से मैंने सीखा है कि उसकी सलाह और बातें बड़ी नायाब होती हैं।
सुलझा व्यक्तित्व, सकारात्मक सोच, जीवन के प्रति रचनात्मक दृष्टिकोण, चेहरे पर सम्मोहित कर देने वाली मुस्कान, गज़ब  की वाक्पटुता और आँखों में आशा की चमक - कुछ ऐसा ही है जेपी मोटिवेटर।
ये कहा जाना अतिशोक्ति नही होगा कि ये सारे विशेषण और जेपी मोटिवेटर एक दूसरे के पूरक हैं।
जब कभी भी मेरे जीवन में कोई समस्या आयी और ऐसा लगने लगा कि बाज़ी हाथ से जा रही है, मैंने एकांत में बैठकर उससे अपनी समस्या बताई और यकीन मानिये मुझे कभी निराश नही होना पड़ा।

वैसे एक बात और- दूसरों को उपाय बताना ज्यादा आसान है...., जब खुद पर पड़ती है तो सारे दांव पेंच भूल जाते हैं।

 "Last Journey of an Entrepreneur"        A real Story Live....   क्रमशः  जारी है…

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