tag:blogger.com,1999:blog-87412493448028794972024-02-08T09:47:21.130-08:00Last journey of an Entreprenuer- A Real story - "LIVE...."JP Motivatorhttp://www.blogger.com/profile/12639595862108985188noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8741249344802879497.post-26644605547750889452013-11-16T05:30:00.000-08:002013-11-16T05:30:05.635-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: blue;">सचिन तेंदुलकर</span>, केवल नाम ही काफी है, कोई विशेषण उनके लायक शायद बना ही नही। आज सचिन का अंतिम टेस्ट मैच, 12 बेहतरीन चौकों के साथ शानदार 74 रन। एक सुखद-इतिहास का सुखद-अंत। संतोष इतना कि हमे साक्षी रहने का अवसर मिला, उन ऐतिहासिक पलों का।<br />
एक महान महारथी की महान यात्रा- एक स्वर्णिम युग का अंत- या कि एक नये युग का शुभारम्भ। भावी - अज्ञात....<br />
अच्छी लगती हैं ऐसी यात्रायें - ऐसी जीवन यात्रायें।<br />
अक्सर उसकी बातें बिलकुल सही ठहरती है, दम तो है उसकी बातों में, हालाँकि उस समय तो मुझे भी यकीन नही हो रहा था, जब उसने मुझसे कहा था कि हर अंत के पश्चात् एक नई शुरुआत होती है,पहली बार जेपी-मोटिवेटर की बातें मेरे सिर के ऊपर से निकल रही थी।<br />
लेकिन आज यकींन हो गया, उसकी बात सोलह-आने सही थी, उसके कहने से आत्म-हत्या के विचार को अगर मैंने नही त्यागा होता तो शायद आज सचिन की इस ऐतिहासिक पारी का गवाह कैसे बनता ?<br />
मै इंटरप्रेन्योर-जेपी आज की इस उप्लब्धि के लिए जेपी-मोटिवेटर का हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।<br />
वैसे शुक्रगुज़ार तो कई बातों के लिए हूँ- इस जेपी मोटिवेटर का। अपने जीवन के अनुभवों से मैंने सीखा है कि उसकी सलाह और बातें बड़ी नायाब होती हैं।<br />
सुलझा व्यक्तित्व, सकारात्मक सोच, जीवन के प्रति रचनात्मक दृष्टिकोण, चेहरे पर सम्मोहित कर देने वाली मुस्कान, गज़ब की वाक्पटुता और आँखों में आशा की चमक - कुछ ऐसा ही है जेपी मोटिवेटर।<br />
ये कहा जाना अतिशोक्ति नही होगा कि ये सारे विशेषण और जेपी मोटिवेटर एक दूसरे के पूरक हैं।<br />
जब कभी भी मेरे जीवन में कोई समस्या आयी और ऐसा लगने लगा कि बाज़ी हाथ से जा रही है, मैंने एकांत में बैठकर उससे अपनी समस्या बताई और यकीन मानिये मुझे कभी निराश नही होना पड़ा। <br />
<br />
वैसे एक बात और- दूसरों को उपाय बताना ज्यादा आसान है...., जब खुद पर पड़ती है तो सारे दांव पेंच भूल जाते हैं।<br />
<br />
<b style="color: blue;">"Last Journey of an Entrepreneur" A real Story <span style="color: red;">Live.... </span></b><span style="color: blue;"> </span><b><span style="color: blue;"> क्रमशः जारी है…</span></b></div>
JP Motivatorhttp://www.blogger.com/profile/12639595862108985188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8741249344802879497.post-74711612164505304572013-11-10T03:41:00.000-08:002013-11-10T04:04:42.616-08:00Day -2<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
9 नवंबर 2013 <div class="gmail_default" style="font-family: trebuchet ms,sans-serif; text-align: left;">
रात यही कोई पौने दस के आस-पास टाइम होगा,सर्दी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है,आज भी काफी ठंडा … </div>
आज फिर मैं और मेरा ऑफिस दोनों गैर-इत्तेफाकन आमने-सामने … <br />
मैं भी निःशब्द - ऑफिस भी पारम्परिक रूप से शान्त, निःस्तब्ध <br />
बहुमंजिला, आलीशान ऑफिस....<br />
इस ऑफिस की हर एक चीज को मैंने बड़ी शिद्दत के साथ बनाया-सजाया था। <br />
सामने ऊपर से नीचे तक सारा डेकोरेशन रिफ्लेक्टिव कांच का, अंदर ऑफिस में भी इम्पोर्टेड मोल्डेड ग्लास …<br />
काफी खूबसूरत बनाया था, बड़ी शान से लोगों से कहता था "ऑफिस आना- वहीँ बात करेँगे"<br />
शहर में भी चर्चा का विषय था - मेरा ये ऑफिस और इसकी भव्यता । <br />
दरअसल ये कांच जितना खूबसूरत होता है उससे कहीं ज्यादा नाज़ुक भी .......<br />
किसी का भी एक ढेला सारे शीशमहल को पलभर में तोड़कर बिखेर देता है। <br />
ठीक मेरे सपनों की तरह.... जैसे आज मै टूट कर बिखर गया हूँ … रोड पर, <br />
अपने उसी भव्य ऑफिस के सामने, <br />
रोड के इसपार फुटपाथ पर खड़े टेलीफोन के जंक्शन बॉक्स के सहारे बैठने से कहीं ज्यादा छुपकर .... अपलक निहार रहा हूँ। <br />
अपना ऑफिस ....<br />
कभी मै यहाँ का बॉस था। छोटी ही सही पर कभी यहाँ मेरी बादशाहत चलती थी ।<br />
बुझती जा रही हैं एक-एक करके ऑफिस की लाइटें, ठीक मेरे अरमानों की तरह .... <br />
एम्प्लाइज भी एक-एक करके अपनी-अपनी गाड़ियों से निकल रहे हैं, जैसे निकल गये मेरे सारे दोस्त .... <br />
शायद अब ऑफिस बंद हो रहा है। <br />
ये छाले अक्सर रात में कुछ ज्यादा ही दर्द करने लगते हैं। दोनों छाले- पाँव के हों या दिल के। <br />
आज तो पैदल चलना भी दुश्वार हो गया है-इन छालों की वजह से <br />
मैं सोच रहा हूँ- मै नही हम- हम दोनों। … <br />
मै और मै- एक जे.पी. मोटिवेटर और दूसरा जे. पी. इंटरप्रेन्योर।<br />
सामने ऑफिस बंदकर वॉच-मैन बैठा बीड़ी जला रहा है <br />
आपस में बातें करते बगल से गुजर रहे कुछ स्टूडेंट्स में से किसी एक ने सिगरेट पीकर फेंकी। <br />
काफी है , बाकी मै पी लेता हूँ। <br />
एक सीन याद आ रहा है किसी हिंदी फ़िल्म का<br />
"आज उतनी भी मयस्सर है नही मयखाने में, जितनी पीकर छोड़ दिया करते थे पैमाने में...."<br />
<b style="color: blue;">"Last Journey of an Entrepreneur" A real Story <span style="color: red;">Live.... </span></b><span style="color: blue;"> </span><b><span style="color: blue;"> क्रमशः जारी है…</span></b></div>
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<div align="center" class="MsoNormal" style="text-align: center;">
<b style="mso-bidi-font-weight: normal;"><u><span style="color: red; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">Last
journey of an entrepreneur</span></u></b></div>
<div align="center" class="MsoNormal" style="text-align: center;">
<b style="mso-bidi-font-weight: normal;"><span style="color: red; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">A
real story (Live)</span></b><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">'मै'
और 'मै, <br />
हमदोनों<br />
इनदिनों ज्यादातर साथ-साथ ही रहते हैं, साथ-साथ समय बिताते हैं, एक-दूसरे से बातें
करते रहते हैं, <br />
बातें- वे बातें जो नितांत निजी, हैं , घोर व्यक्तिगत<br />
वे बातें- जिन्हे दूसरो से कहने में हमें जितना संकोच </span>होता<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> है, उससे कही ज्यादा
सुनने वालों को</span> <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">उन्हें
सुनकर बोरियत होती है <br />
सुनना भी कौन चाहेगा ? ये नीरस बातें, असफलता की बातें , जिंदगी की हार की बातें,<br />
इसीलिए इन मुश्किल भरे दिनों में हमदोनों एक-दूसरे के कुछ ज्यादा ही करीब आ गए </span>क्योंकि आज दूसरा कोई हमसे बात करने वाला भी नहीं <br />
<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">
क्या करें ? फुर्सत ही नहीं मिलती थी - उनदिनों जब मैं सफलता की सीढियां तेजी से चढ़
रहा था<br />
बड़ी व्यस्तता थी, दिन-रात भाग-दौड़, उहापोह, लोगों से मिलना जुलना, हर समय ऑफिस, बिजनेस,
पैसा, बैंक, गाडी, टूर, नौकर, अमीरी की बरसात में तेजी से उगने वाले बहुत सारे तथाकथित
मौसमी दोस्तों की हायब्रिड फसल, सही या गलत मेरी हर बात पर सर-सर कहते हुए बा-अदब</span>
<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">आदाब बजाने वाले एम्प्लाईज
की टीम, इन्वेस्टर, फाईनेंसर, थुल-थुल तोंद, फ्रेंच कट दाढ़ी, गंजी चाँद से टकले, सूट-बूट
वाले तमाम सारे हाई-फाई प्रोफाइल और बिना किसी बात के मुस्कराते हुए लोग</span>-<span style="font-family: Mangal;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">लोगइयां
…. </span><br />
<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>आज जब सब कुछ लुट गया, बिज़नेस ठप्प हो गया,
मैं फिर मालामाल से कंगाल बन गया तो </span>ये <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">सारे लोग अंतर्ध्यान हो गए, <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>आज कोई नहीं है, हर ओर बस सन्नाटा ही सन्नाटा
है, हार </span>का<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> उपहास उड़ाता हुआ सन्नाटा, असफलताओं से उपजा बैचैन सन्नाटा, तीव्र भयावह
नीरव-सन्नाटा, कोई नहीं जो इस खराब समय में मेरा साथ दे, सहारा दे, कुछ </span>दे <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">न दे - कम
से कम मेरे लिए सान्तवना के दो शब्द ही बोल दे …<br />
विचित्र अनुभव कर रहा हूँ -त्रासद-अकेलेपन के विशुद्ध एवं चरम-एकान्त का </span>और इसीलिए <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">परम्परागत रूप से हम दोनों आज पुनः साथ-साथ ---</span><span style="font-family: Mangal;"><br />
</span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="font-family: Mangal;"> </span><b style="mso-bidi-font-weight: normal;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">मैं आत्मा</span></b><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> और मेरा <b style="mso-bidi-font-weight: normal;">मानव- शरीर</b> <br />
एक मैं ….सबको जीतने,</span><span style="font-family: Mangal;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">अपने लछ्य</span><span style="font-family: Mangal;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">को
प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करने वाला</span> <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">और जीवन की सभी समस्याओं के हल का उपदेश
देने वाला,</span><span style="font-family: Mangal;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">सदा, सर्वथा, अमिट, अनादि, अनंत,
ज्ञान-स्वरुप, आत्मस्वरूप मैं आत्मा - <b style="mso-bidi-font-weight: normal;">जेपी.
मोटिवेटर</b> - - <b style="mso-bidi-font-weight: normal;">( JP-M)</b><br />
और दूसरा ….टूटने की कगार तक थका हुआ, हारा हुआ, युवावस्था में ही बुजुर्गियत
का अनचाहा बोझ अपने कन्धों पर उठाये, जीवन से मायूस, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव की ओर धीरे-धीरे
बढ़ता हुआ, मानवीय गुणों-दुर्गुणों से परिपूर्ण मानव-मात्र - मेरा मानव शरीर <b style="mso-bidi-font-weight: normal;">- जेपी. इंटरप्रेन्योर<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>-- ( JP-E)</b><br />
<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बड़ा आसान था दूसरों को उपदेश देना,
उन्हें सही राह दिखाना, प्रेरित करना, पॉजिटिव थिंकिंग का ज्ञान बताना, </span>आज जब उंचाई से गिरे तो <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">सारा ज्ञान धरा का धरा रह गया, जब आज खुद समस्याओं से घिर गए </span>तो अब <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">आगे का रास्ता नहीं
सूझ रहा…<br />
आप ही बताएं</span> <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">
-अब जीवन कैसे जिया जाए - - - मंजिल का कहीं अता-पता नही-जाएँ तो जाएँ कहाँ<br />
थम सी गयी है जिंदगी- रुक सी गयी है जीवन यात्रा ---</span><span style="font-family: Mangal;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">आखिर
कब समाप्त होगी </span>मेरे <span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">जीवन-संघर्ष की अनंत यात्रा<br />
एक </span>उदयमी<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> की अंतिम-यात्रा - <b>लास्ट जर्नी ऑफ़ अन इंटरप्रेन्योर</b>
आज से प्रारम्भ हो रही है ….<b style="mso-bidi-font-weight: normal;"><span style="color: #c00000;">(अ रियल स्टोरी लाइव)…</span></b></span></div>
<span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> <span style="mso-spacerun: yes;">
</span>आप सभी के अमूल्य विचारों, टिप्पड़िओं, सुझावो का स्वागत है</span></div>
JP Motivatorhttp://www.blogger.com/profile/12639595862108985188noreply@blogger.com1